सरकार के एक फैसले से देश को हुई 5,000 करोड़ रुपये की बचत, जाने क्या था वह कदम
सरकार ने अप्रैल-मई में कच्चे तेल की कीमतों के दो दशक के निचले स्तर पर चले जाने के दौरान इन तीन भंडारण सुविधाओं को भर लिया था.
कच्चे तेल की कीमतें नीचे चले जाने पर सरकार ने 1.67 करोड़ बैरल तेल खरीदा था, इससे 5000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की बचत हुई. (प्रतिकात्मक फोटो)
कच्चे तेल की कीमतें नीचे चले जाने पर सरकार ने 1.67 करोड़ बैरल तेल खरीदा था, इससे 5000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की बचत हुई. (प्रतिकात्मक फोटो)
इस समय कच्चे तेल के दाम (Crude oil prices) 42 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहे हैं. लेकिन कोरोना काल में एक समय ऐसा भी था जब कच्चे तेल के दाम 19 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए थे. भारत सरकार ने ऐसे मौके पर तेल की खरीद (Crude Oil Procurement) का एक बड़ा सौदा करके 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की है.
इस दौरान खरीदे गए तेल की खरीद के सौदे को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी मंजूरी दे दी है. कच्चे तेल के रणनीतिक भंडारण के लिए 3,874 करोड़ रुपये व्यय करने की मंजूरी दी.
मंत्रिमंडल के फैसले से मीडिया को अवगत कराते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने बताया कि पेट्रोलियम और गैस मंत्रालय ने इस तेल की खरीद पर 3,874 करोड़ रुपये व्यय किए थे. इस तेल की खरीद औसतन 19 डॉलर प्रति बैरल रही. यह जनवरी 2020 में तेल की औसत 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत के मुकाबले काफी कम थी.
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प्रकाश जावडे़कर ने बताया कि भारत में रणनीतिक भंडार में रखे तेल का व्यापार करने के लिए अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी को भी मंजूरी दी गई है. कंपनी ने इस रणनीतिक भंडारण का एक हिस्सा पट्टे पर लिया है.
अप्रैल-मई में खरीदा था तेल
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें नीचे चले जाने का लाभ उठाते हुए सरकार ने अप्रैल-मई में 1.67 करोड़ बैरल कच्चे तेल का भंडारण किया था.
68.51 करोड़ डॉलर की बचत
सरकार ने अप्रैल-मई में कच्चे तेल की कीमतों के दो दशक के निचले स्तर पर चले जाने के दौरान इन तीन भंडारण सुविधाओं को भर लिया था. इस खरीद से उसे 68.51 करोड़ डॉलर या 5,069 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिली.
मंत्रिमंडल ने आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी को इस रणनीतिक भंडार के तेल का व्यापार करने की अनुमति भी दे दी है.
भारत की स्टोरेज कैपेसिटी
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है. देश में इमरजेंसी समय के लिए तीन स्थानों पर जमीन के अंदर तेल स्टोरेज सुविधा विकसित की गई है.
भारतीय रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार लिमिटेड (आईएसपीआरएल) ने कर्नाटक के मंगलुरू और पद्दूर और आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में तीन भूमिगत भंडारण सुविधा विकसित की हैं. इन्हें आपूर्ति और मांग में अंतर आने के दौरान कीमतों को स्थिर रखने के लिए तैयार किया गया है.
मंगलुरू की भूमिगत सुविधा की भंडारण क्षमता 15 लाख टन है. आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने अपना तेल भंडारित करने के लिए इसकी आधी क्षमता को पहले ही किराये पर लिया था। बाकी बची आधी क्षमता को भी उसने अप्रैल-मई में किराये पर ले लिया.
पट्टे पर देने के लिए किए गए समझौते में किसी भी इमरजेंसी के दौरान भारत के पास इस स्टोर कच्चे तेल को इस्तेमाल करने का पहला अधिकार होगा.
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पद्दूर भंडारण सुविधा की क्षमता तीनों में सबसे अधिक है. इसकी कुल क्षमता 25 लाख टन है. अबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने नवंबर 2018 में इसकी भी आधी क्षमता को किराये पर लेने के लिए समझौता किया था लेकिन वास्तव में कभी यहां तेल भंडारण किया ही नहीं.
भारत अपनी कुल तेल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करता है. इन तीनों भंडारण सुविधाओं में मौजूद तेल से देश की साढ़े नौ दिन की जरूरत पूरी की जा सकती है.
08:27 PM IST